तरंग प्रकाशिकी किसे कहते हैं ? बताइए

तरंग प्रकाशिकी (WAVE OPTICS) किसे कहते हैं 

प्रस्तावना (Introduction) :-

तरंग प्रकाशिकी किसे कहते हैं
प्रकाश ऊर्जा का एक रूप है। जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराकर हमारी आँख में प्रवेश करता है

तो वह वस्तु हमें दिखाई देने लगती है। प्रकाश से सम्बंधित कुछ घटनाएं निम्नानुसार हैं –

1. प्रकाश का सीधी रेखा में गमन (Rectilinear Propagation of light) :-

प्रकाश के मार्ग में रखी किसी अपारदर्शी वस्तु की छाया का बनना ,

सूर्यग्रहण तथा चंद्रग्रहण का पड़ना इस बात के द्योतक हैं कि प्रकाश सीधी रेखा में गमन करता है।

2. परावर्तन (Reflection) :-

जब प्रकाश किसी चमकदार (परावर्ती) पृष्ठ से टकराता है

तो कुछ नियमों का पालन करते हुए उसी माध्यम में वापस लौट जाता है। इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

3. अपवर्तन (Refraction) :-

जब प्रकाश एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो वह अपने मार्ग से विचलित हो जाता है।

इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

4. वर्ण – विक्षेपण (Dispersion) :-

जब सूर्य प्रकाश (श्वेत प्रकाश) किसी प्रिज्म में से होकर गुजरता है तो वह अपने अवयवी रंगों में विभक्त हो जाता है।

इस घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं।

5. व्यतिकरण (Interference) :-

जब समान आवृत्ति की दो प्रकाश तरंगें किसी माध्यम में एक ही दिशा में चलती हैं तो प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है।

इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं।

6. विवर्तन (Diffraction) :-

तीक्ष्ण धार वाले किनारों पर प्रकाश का मुड़ना तथा

अवरोध द्वारा बनी ज्यामितीय छाया में प्रकाश के अतिक्रमण की घटना को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।

7. ध्रुवण (Polarisation) :-

प्रकाश तरंग द्वारा प्रकाश संचरण की दिशा के लम्बवत् चारों ओर सममिति की कमी को प्रदर्शित करना

प्रकाश का ध्रुवण कहलाता है।

8. प्रकाश-विद्युत प्रभाव (Photo-Electric Effect) :-

प्रकाश के प्रभाव से किसी धातु से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने की घटना को प्रकाश-विद्युत प्रभाव कहते हैं।

तरंग प्रकाशिकी

प्रकाशिकी –

भौतिक की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत प्रकाश ऊर्जा एवं उससे सम्बंधित घटनाओं का अध्ययन किया जाता हैं।

प्रकाशिकी की दो शाखाएं है –

1. तरंग प्रकाशिकी –

इसके अन्तर्गत प्रकाश की तरंग प्रकृति के आधार पर प्रकाश सम्बन्धी घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।

2. किरण प्रकाशिकी –

इसके अन्तर्गत यह माना जाता है कि प्रकाश किरणों से मिलकर बना होता है।

ये किरणें सरल रेखा में गमन करती हैं।

इस आधार पर प्रकाश सम्बन्धी घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।

किरण प्रकाशिकी को ज्यामितीय प्रकाशिकी भी कहते हैं।

प्रकाश की प्रकृति (Nature of Light) –

प्रकाश की प्रकृति के सम्बन्ध में समय समय पर विभिन्न सिद्धांत प्रतिपादित किये जाते रहे हैं।

17 वीं शताब्दी में प्रकाश की प्रकृति के बारे में दो सिद्धांत प्रतिपादित किये गये –

१. न्यूटन का कणिका सिद्धांत

२. हाइगन का तरंग सिद्धांत

न्यूटन के कणिका सिद्धांत के आधार पर निकाले गये कुछ निष्कर्ष प्रायोगिक परिणाम के विपरीत पाये गये , अतः हाइगन के तरंग सिद्धांत की तुलना में न्यूटन के कणिका सिद्धांत को अमान्य कर दिया गया ,

किन्तु हाइगन के तरंग सिद्धांत में सर्वव्यापी माध्यम ईथर (Ether) की कल्पना की गई थी।

प्रयोगों द्वारा इस काल्पनिक माध्यम के अस्तित्व की पुष्टि नहीं हो सकी।

तरंग सिद्धांत की इस कमी को मैक्सवेल ने पूरा किया , जिन्होंने सन् 1865 में प्रकाश के विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

इस सिद्धांत के अनुसार , प्रकाश अनुप्रस्थ तरंग होता है। विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।

अतः काल्पनिक माध्यम ईथर के अस्तित्व की आवश्यकता नहीं है।

वर्तमान शताब्दी में कई परिघटनाएँ , जैसे – प्रकाश विद्युत् प्रभाव , कॉम्पटन प्रभाव आदि की खोज की गई हैं , जिनकी व्याख्या तरंग सिद्धांत के आधार पर नहीं की जा सकती।

इन प्रभावों की व्याख्या करने के लिए प्रकाश के क्वाण्टम सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया।

इस सिद्धांत के अनुसार , प्रकाश ऊर्जा के छोटे छोटे बण्डलों से मिलकर बना होता है।

प्रत्येक बण्डल को फोटॉन कहते हैं।

प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा hu होती है , जहाँ h प्लांक नियतांक तथा u आवृत्ति है

किन्तु इस सिद्धांत के आधार पर भी प्रकाश सम्बन्धी समस्म घटनाओं की व्याख्या नहीं की जा सकती।

वर्तमान में हमें प्रकाश की द्वैती प्रकृति (Dual Nature) पर विश्वास करना पड़ा है।

इस सिद्धांत के अनुसार , प्रकाश कहीं पर कण की भाँति , तो कहीं पर तरंग की भाँति व्यवहार करता है।

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता :-

 एकल स्लिट द्वारा प्रकाश का विवर्तन :-

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता :-

 दण्ड चुम्बक पर बल आघूर्ण :-

कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग-नियम:-

विद्युत शक्ति की परिभाषा , मात्रक एवं विमीय सूत्र:-

पोलेराइड किसे कहते हैं :-

educationallof
Author: educationallof

FacebookTwitterWhatsAppTelegramPinterestEmailLinkedInShare
FacebookTwitterWhatsAppTelegramPinterestEmailLinkedInShare
error: Content is protected !!
Exit mobile version